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अग्रेतर, अवगत कराना है कि प्रमुख सचिव महोदय, उ०प्र० शासन, लखनऊ के कार्यालय आदेश संख्या 450 (1)/24-ऊ०नि०नि०प्र०/17-14 (प्रकोष्ठ)/17/ लखनऊ दिनांक 24.08.2017 निम्नवत इंगित किया गया है-
"अधिसूचना 122/ यू०एन०एन०पी/24-07 दिनांक 18.07.2007 जहाँ उ०प्र० पॉवर ट्रांसमीशन कारपोरेशन लि०, जिनका पंजीकृत कार्यालय शक्ति भवन, 14-अशोक मार्ग, लखनऊ है कम्पनी अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत एक सरकारी कम्पनी है और विधुत अधिनियम, 2003 के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश हेतु पारेषण कार्यों के लिए लाइसेंसी है।
अतः अब विधुत अधिनियम, 2003 की धारा 164 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उ०प्र० पॉवर ट्रांसमीशन कारपोरेशन लि० को एतदद्वारा विधुत पारेषण के लिए तथा कार्यों के समुचित समन्वयन के लिए आवश्यक दूरभाषीय या तार सम्बन्धी सम्प्रेषण के उद्देश्य से बिछाई गयी या अनुरक्षित अथबा बिछाई जानें या अनुरक्षित की जानें वाली विधुत लाइनों एवं विधुत सयंत्र के सम्बन्ध में भारतीय तार अधिनिययम, 1885 के भाग-3 के अन्तर्गत तार प्राधिकरण को प्रदत्त एवं इसमें निहित शक्तियों का प्रयोग करनें हेतु प्राधिकृत किया जाता है।"
As per section 51 of Indian Electricity Act-1910 read with section 10 of the Indian Telegraph Act-1885, they are not acquiring any land. They are only making use of land for the purpose of laying electricity lines for which full compensation is given for the damage caused. It is also clear there from that no notice is required to the owner
before laying the poles or constructing any tower nor any consent is required from them
अग्रेतर, अवगत कराना है कि प्रमुख सचिव महोदय, उ०प्र० शासन, लखनऊ के कार्यालय आदेश संख्या 2023 / चौबीस-पी-3-2018 दिनांक 06.09.2018 के आदेशानुसार उ०प्र० पॉवर ट्रांसमीशन कारपोरेशन लि० के अन्तर्गत निर्मित होनें वाली 765/400/220/132 के.वी. पारेष्ण लाइनों के निर्माण में कृषकों को दिये जानें वाले फसल क्षतिपूर्ति भुगतान के अतिरिक्त टॉवर बेस के नीचे 85 प्रतिशत क्षेत्रफल भूमि की लागत के रूप में अतिरिक्त भूमि क्षतिपूर्ति (Land compensation) प्रदान किये जानें गया है (छायाप्रति संलग्न)। के निर्देशानुसर निर्मित की जा रही
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